5 Simple Statements About Shodashi Explained
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सोलह पंखड़ियों के कमल दल पर पद्दासन मुद्रा में बैठी विराजमान षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी मातृ स्वरूपा है तथा सभी पापों और दोषों से मुक्त करती हुई अपने भक्तों तथा साधकों को सोलह कलाओं से पूर्ण करती है, उन्हें पूर्ण सेवा प्रदान करती है। उनके हाथ में माला, अंकुश, धनुष और बाण साधकों को जीवन में सफलता और श्रेष्ठता प्रदान करते हैं। दायें हाथ में अंकुश इस बात को दर्शाता है कि जो व्यक्ति अपने कर्मदोषों से परेशान है, उन सभी कर्मों पर वह पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर उन्नति के पथ पर गतिशील हो और उसे जीवन में श्रेष्ठता, भव्यता, आत्मविश्वास प्राप्त हो। इसके आतिरिक्त शिष्य के जीवन में आने वाली प्रत्येक बाधा, शत्रु, बीमारी, गरीबी, अशक्ता सभी को दूर करने का प्रतीक उनके हाथ में धनुष-बाण है। वास्तव में मां देवी त्रिपुर सुन्दरी साधना पूर्णता प्राप्त करने की साधना है।
नवयौवनशोभाढ्यां वन्दे त्रिपुरसुन्दरीम् ॥९॥
The reverence for Goddess Tripura Sundari is apparent in the way her mythology intertwines Along with the spiritual and social fabric, giving profound insights into the nature of existence and The trail to enlightenment.
One of the most revered between these will be the 'Shodashi Mantra', and that is claimed to grant each worldly pleasures and spiritual liberation.
सा नित्यं मामकीने हृदयसरसिजे वासमङ्गीकरोतु ॥१४॥
ह्रीं श्रीं क्लीं त्रिपुरामदने सर्वशुभं साधय स्वाहा॥
Hence every one of the gods requested Kamadeva, the god of love to produce Shiva and Parvati get married to each other.
The above mentioned one particular is just not a Tale but a legend as well as a fact since the person blessed by Sodhashi Tripur Sundari, he gets to be the regal man or woman. He achieves everything because of his wisdom, would like and workmanship.
श्रीचक्रवरसाम्राज्ञी श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरी ।
मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी अपराध क्षमापण स्तोत्रं ॥
ह्रीं ह्रीं ह्रीमित्यजस्रं हृदयसरसिजे भावयेऽहं भवानीम् ॥११॥
The Goddess's victories are celebrated as symbols of the final word triumph of fine about evil, reinforcing the ethical material of your universe.
It is generally identified that wisdom and prosperity tend not to stay together. But Sadhana of Tripur Sundari provides equally as Shodashi well as eliminates disorder along with other ailments. He under no circumstances goes less than poverty and becomes fearless (Shodashi Mahavidya). He enjoys each of the worldly pleasure and gets salvation.